भाई रे तीन लोक के नाथ बैठ विए अर्जुन के रथ में।
बैछे लिए अर्जुन के रथ में बैठे लिए अर्जुन को रथ में भाई रे
हाथ पकड़ अर्जुन बढ़ाये गीता का उपदेश सुनाये आई रे दिया था बिगुल बजाय, बैठे लिए -
बाई रे
सातू गांठ का अर्थ बनाया अर्थ बनाने आई महामाया भाईरे आप बने रथवान, बैठे लिए -
भाई रे
कान्हा ने फिर शंख बजाया अजून के अंग-अंग समाया भाई र हो रही जय-जयकार बैठ लिए
भाई रे
सभी देव हनुमान अपर आये कुर्सी बैठाये दे रहा शेष नाग फुंकार, बैठे लिए -
भाई रे तीन लोक के नाय बैठ लिए अर्जुन के रथंगें ।।